क्या देशद्रोह कानून (IPC 124A) आज भी आधुनिक भारत में प्रासंगिक है? एक संवैधानिक विश्लेषण 🔷 भूमिका: स्वतंत्रता एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की आत्मा होती है, लेकिन जब कोई कानून विचारों या अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगाए, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है — क्या वह कानून अब भी ज़रूरी है? भारतीय दंड संहिता की धारा 124A , जिसे आमतौर पर देशद्रोह कानून (Sedition Law) कहा जाता है, इस संदर्भ में सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला विषय रहा है। आइए इस लेख में समझते हैं कि यह कानून क्या है, इसका इतिहास, न्यायिक व्याख्या, आलोचना, और यह कि क्या इसे आज के भारत में जारी रखना उचित है? 🔷 IPC धारा 124A क्या है? भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124A कहती है: "जो कोई भारत सरकार के प्रति घृणा या अवमानना, या असंतोष उत्पन्न करने का प्रयास करता है, उसे तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है।" 📌 यह अपराध गैर-जमानती , गंभीर , और राज्य के खिलाफ माने जाने वाले अपराधों की श्रेणी में आता है। 🔷 इतिहास: क्यों बना था यह कानून? यह कानून ब्रिटिश शासन द्वारा 1870 में लागू किया गया था। ...
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