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मेनका गांधी केस (1978): विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया बनाम न्यायसंगत प्रक्रिया

मेनका गांधी बनाम भारत सरकार (1978) – भारतीय संविधान में एक ऐतिहासिक मोड़ मेनका गांधी बनाम भारत सरकार (Maneka Gandhi vs. Union of India, 1978) भारतीय न्यायिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मामलों में से एक है। इस फैसले ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और न्यायिक समीक्षा को नई दिशा दी। यह मामला विशेष रूप से अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) की विस्तृत व्याख्या के लिए जाना जाता है। मामले की पृष्ठभूमि मेनका गांधी और विवाद की शुरुआत मेनका गांधी, एक प्रसिद्ध पत्रकार और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू थीं। उन्होंने 'सूर्या' नामक पत्रिका का संपादन किया, जो राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार व्यक्त करने के लिए जानी जाती थी। विवाद का मुख्य मुद्दा 1977 में, भारत सरकार ने मेनका गांधी का पासपोर्ट जब्त कर लिया । यह कार्रवाई पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 10(3)(c) के तहत की गई, जिसमें राष्ट्रीय हितों का हवाला दिया गया, लेकिन कोई ठोस कारण नहीं बताया गया। मेनका गांधी को सरकार के इस फैसले पर कोई सुनवाई का अवसर नहीं दिया गय...