परिचय भारत के लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सर्वोपरि माना जाता है। लेकिन जब सवाल आता है जजों की नियुक्ति का, तब दो प्रणालियाँ — Collegium प्रणाली और NJAC (National Judicial Appointments Commission) — के बीच गहरी बहस छिड़ जाती है। आइए जानते हैं कि Collegium और NJAC में क्या फर्क है, इन दोनों के बीच विवाद का क्या कारण रहा, और आज इस मुद्दे की प्रासंगिकता क्या है। 📜 Collegium प्रणाली क्या है? Collegium प्रणाली भारत में जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण की एक परंपरा है, जो पूर्णतः न्यायपालिका द्वारा नियंत्रित होती है। यह प्रणाली तीन ऐतिहासिक फैसलों (Three Judges Cases) के माध्यम से विकसित हुई थी। ✨ मुख्य विशेषताएँ: प्रधान न्यायाधीश (CJI) और चार वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट जज मिलकर नियुक्ति का निर्णय लेते हैं। केंद्र सरकार केवल सुझाव स्वीकार या लौटा सकती है, लेकिन अंतिम निर्णय Collegium का होता है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव कई बार आलोचना का कारण बना। 🏛️ NJAC क्या था? राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) एक वैकल्पिक ढांचा था ज...
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