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विवाह और तलाक कानून: हर दंपति को यह जानकारी क्यों होनी चाहिए?

विवाह और तलाक कानून: हर दंपति को जानना क्यों जरूरी है? प्रस्तावना विवाह न केवल एक सामाजिक परंपरा है, बल्कि यह एक कानूनी अनुबंध भी होता है, जो पति-पत्नी के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। हाल के वर्षों में विवाह और तलाक से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे इन कानूनों की समझ हर दंपति के लिए आवश्यक हो गई है। विवाह केवल भावनात्मक संबंध ही नहीं, बल्कि कानूनी रूप से बाध्यकारी करार भी होता है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल होते हैं। इस लेख में हम विवाह और तलाक से जुड़े प्रमुख कानूनों, उनकी प्रक्रियाओं और उनके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। भारत में विवाह कानून और उनके महत्वपूर्ण प्रावधान भारत में विवाह कानून विभिन्न धर्मों के अनुसार अलग-अलग अधिनियमों के तहत आते हैं। प्रत्येक अधिनियम विवाह की शर्तों, पंजीकरण प्रक्रिया, कानूनी अधिकारों और दायित्वों को निर्धारित करता है। 1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदायों पर लागू होता है। यह विवाह को एक पवित्र संस्कार मानता है, लेकिन इसे कानूनी अनुबंध के रूप में भी स्वीकार करत...