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संविधान की प्रस्तावना कैसे न्याय, स्वतंत्रता और समानता को परिभाषित करती है?

भारतीय संविधान की प्रस्तावना: एक विस्तृत अध्ययन परिचय भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) न केवल संविधान का परिचय कराती है, बल्कि यह भारत की संवैधानिक भावना और उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है। इसे संविधान की आत्मा (Soul of the Constitution) भी कहा जाता है। यह प्रस्तावना हमारे संविधान की नींव है और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों की दिशा तय करती है। प्रस्तावना का अर्थ (Meaning of Preamble in Hindi) "प्रस्तावना" का अर्थ होता है – किसी भी दस्तावेज़ या ग्रंथ की भूमिका या परिचय। भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान की मुख्य विचारधारा को संक्षेप में प्रस्तुत करती है और बताती है कि यह संविधान किन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बनाया गया है। संविधान की प्रस्तावना निम्नलिखित मूलभूत तत्वों पर आधारित है: संप्रभुता (Sovereignty) – भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है और किसी भी बाहरी शक्ति से प्रभावित नहीं होता। समाजवाद (Socialism) – समाज में समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया जाता है। धर्मनिरपेक्षता (Secularism) – भारत में सभी धर्मों को समान रूप से देखा ...