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मौलिक अधिकार बनाम राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत: एक संतुलित दृष्टिकोण

  मौलिक अधिकार बनाम राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत: एक संतुलित दृष्टिकोण भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत दो महत्वपूर्ण घटक हैं, जो नागरिकों के अधिकारों और राज्य की नीतिगत दिशा को परिभाषित करते हैं। मौलिक अधिकार व्यक्ति की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखते हैं, जबकि नीति निर्देशक सिद्धांत समाज के समग्र विकास और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य को दिशा प्रदान करते हैं। मौलिक अधिकार: नागरिकों के संरक्षक मौलिक अधिकार संविधान के भाग III (अनुच्छेद 12-35) में उल्लिखित हैं। ये कानूनी रूप से प्रवर्तनीय होते हैं, यानी नागरिक इन अधिकारों के उल्लंघन पर न्यायालय की शरण ले सकते हैं। मौलिक अधिकारों की मुख्य विशेषताएँ: संवैधानिक गारंटी : ये अधिकार नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं और राज्य की शक्ति को सीमित करते हैं। न्यायिक प्रवर्तनीयता : अनुच्छेद 32 और 226 के तहत नागरिक उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं। कुछ अधिकार नागरिकों तक सीमित, कुछ सभी के लिए : उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों के लिए है, जबकि अनुच्छेद 14 सभी व्यक्तियों पर ला...