3 साल की वकालत’ की अनिवार्यता और न्यायिक सेवा की तैयारी करने वालों पर इसका प्रभाव प्रस्तावना भारत में न्यायिक सेवाओं की तैयारी करने वाले हजारों छात्र हर वर्ष न्यायपालिका की परीक्षा (Judicial Services Exam) की तैयारी करते हैं, ताकि वे जज (Judge) बन सकें। लेकिन हाल के वर्षों में एक बहस तेज़ हो गई है – क्या न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम तीन साल की वकालत (Practice) अनिवार्य होनी चाहिए? कुछ राज्यों ने इसे लागू किया है, कुछ विचार कर रहे हैं, और सुप्रीम कोर्ट तक ने समय-समय पर इस पर टिप्पणी की है। इस लेख में हम इसी विषय की गहराई से चर्चा करेंगे – इसका उद्देश्य, प्रभाव और चुनौतियाँ। पृष्ठभूमि: तीन साल की वकालत की मांग क्यों? भारतीय न्यायपालिका में कई वर्षों से यह चिंतन चल रहा है कि नए नियुक्त न्यायाधीशों में व्यवहारिक अनुभव की कमी होती है। जब छात्र सीधे कॉलेज से निकलकर जज बनते हैं, तो उन्हें: कोर्ट की वास्तविक प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती वकीलों और वादियों से व्यवहार का अनुभव नहीं होता प्रैक्टिकल केस हेंडलिंग और कोर्ट एथिक्स की समझ कम होती है इसलिए कई विशेषज्ञों और न्यायमूर...
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