अनुच्छेद 14 और न्यायिक वर्गीकरण: भारतीय संविधान की नजर में समानता की असली परिभाषा 🔷 भूमिका: भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में से अनुच्छेद 14 सबसे केंद्रीय और प्रभावशाली है। यह अनुच्छेद न केवल व्यक्ति को कानून के समक्ष समान दर्जा देने की गारंटी देता है, बल्कि शासन को यह जिम्मेदारी भी देता है कि वह किसी के साथ भेदभाव न करे। लेकिन क्या समानता का अर्थ है सभी के साथ एक जैसा व्यवहार? नहीं। यहां आता है “यथोचित वर्गीकरण” (Reasonable Classification) का सिद्धांत, जिसकी व्याख्या भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर की है। 🔷 अनुच्छेद 14: क्या है इसका मूल उद्देश्य? “राज्य भारत में किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या विधियों के समरूप संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।” इसका तात्पर्य है कि हर व्यक्ति को कानून के समक्ष समान दर्जा मिलेगा, भले वह नागरिक हो या विदेशी। परंतु समानता का अर्थ यह नहीं कि सभी को समान रूप से देखा जाए। संविधान तर्कसंगत भिन्नता की अनुमति देता है , जब तक वह उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी हो। 🔷 समानता में भिन्नता की अनुमति: क्यों और कैसे? हर व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक और ...
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