झूठे आपराधिक आरोप और उनके खिलाफ कानूनी सुरक्षा: IPC के दायरे में आपकी रक्षा 🔷 प्रस्तावना: भारतीय कानून का मूल उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना है, लेकिन जब न्याय का ही गलत उपयोग होने लगे — जैसे कि किसी निर्दोष पर बदले या द्वेषवश झूठा आपराधिक केस लाद दिया जाए — तब वही कानून उस निर्दोष की ढाल भी बनता है। आज के समय में झूठे आरोपों के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं – चाहे वह वैवाहिक विवाद से जुड़ा मामला हो, संपत्ति को लेकर झगड़ा हो, या राजनीतिक अथवा सामाजिक रंजिश हो। इस लेख में हम यह समझेंगे कि अगर आप पर झूठा मुकदमा दर्ज हो जाए , तो कौन-कौन से अधिकार और उपाय आपके पास उपलब्ध हैं। 🔷 झूठे केस के प्रकार और उनके पीछे की मंशा: झूठे केस आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से लगाए जाते हैं: व्यक्तिगत दुश्मनी या प्रतिशोध रिश्ता तोड़ने या दबाव बनाने का माध्यम संपत्ति विवाद वैवाहिक कलह (विशेषकर दहेज या घरेलू हिंसा से जुड़े झूठे केस) राजनीतिक अथवा सामाजिक बदनामी 🔷 कानूनी ढाल: IPC की कौन-कौन सी धाराएं आपकी मदद कर सकती हैं? ✅ IPC 182: अगर कोई व्यक्ति पुलिस या सरकारी अधिकारी को जानबूझक...
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