डीपफेक और भारतीय कानून: क्या हमारे साइबर कानून पर्याप्त हैं? 🔷 प्रस्तावना: सोचिए आप सुबह उठते हैं और देखते हैं कि आपका चेहरा और आवाज़ किसी अश्लील या भड़काऊ वीडियो में इस्तेमाल हो रही है — जबकि आपने ऐसा कोई वीडियो कभी बनाया ही नहीं! यह है Deepfake तकनीक की भयावह सच्चाई — एक ऐसी तकनीक जो किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़ और हाव-भाव को डिजिटल रूप से बदलकर उसे बिल्कुल असली जैसा दिखा सकती है। अब सवाल उठता है – जब डिजिटल दुनिया में सच्चाई और झूठ में फर्क मिटने लगे, तो क्या हमारे कानून ऐसे अपराधों से निपटने के लिए तैयार हैं? 🔷 डीपफेक क्या है? Deepfake शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ➡️ "Deep learning" (AI आधारित तकनीक) + ➡️ "Fake" (नकली) यह तकनीक किसी भी व्यक्ति का चेहरा, आवाज़ या बॉडी लैंग्वेज दूसरे वीडियो या ऑडियो में इस तरह से जोड़ देती है कि वह पूरी तरह वास्तविक लगे। 🔍 आम उपयोग: नेताओं के फर्जी भाषण सेलिब्रिटी के नकली वीडियो अश्लील सामग्री में चेहरा जोड़ना धोखाधड़ी और फेक न्यूज़ फैलाना 🔷 भारत में Deepfake से जुड़े खतरे ⚠️ 1. मानहानि ...
AI और भारतीय कानून: जब मशीन गलती करे तो जिम्मेदारी किसकी? 🔹 परिचय: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अब केवल कल्पना नहीं रह गई — यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। चाहे वो मेडिकल रिपोर्ट पढ़ना हो, गाड़ी चलाना, या कानूनी दस्तावेज़ तैयार करना — AI हर क्षेत्र में घुसपैठ कर चुका है। लेकिन जैसे-जैसे AI का दायरा बढ़ा है, एक बड़ा सवाल भी खड़ा हुआ है — अगर AI आधारित कोई सिस्टम गलती करता है, तो उसकी जिम्मेदारी किस पर तय होगी? क्या हम एक मशीन को दोषी ठहरा सकते हैं? 🔹 AI की भूमिका और उससे जुड़ी जटिलताएं: AI सिस्टम एक तय प्रोग्रामिंग और डेटा के आधार पर निर्णय लेता है। लेकिन जब ये सिस्टम स्वायत्त निर्णय लेने लगता है और उसमें कोई चूक हो जाए, तो स्थिति पेचीदा हो जाती है। उदाहरण के लिए: एक ऑटोनोमस गाड़ी ने किसी राहगीर को टक्कर मार दी एक AI सॉफ्टवेयर ने गलत मेडिकल रिपोर्ट दी एक वकील द्वारा इस्तेमाल किए गए AI टूल ने ग़लत कानून सुझाया तो ऐसे मामलों में किसे जिम्मेदार माना जाए — मशीन, डेवलपर या उपयोगकर्ता? 🔹 भारत में कानूनी स्थिति...