सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर स्तनपान का अधिकार स्तनपान: एक मौलिक अधिकार, सामाजिक जिम्मेदारी और बच्चे का हक स्तनपान केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक शिशु के पोषण, स्वास्थ्य और संपूर्ण विकास के लिए अनिवार्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जन्म के पहले छह महीनों तक नवजात को केवल माँ का दूध मिलना चाहिए, क्योंकि यह पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है और शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर स्तनपान को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है और इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के तहत शामिल किया है। यह फैसला न केवल माताओं के अधिकारों को सशक्त बनाता है, बल्कि समाज और सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशील होने के लिए बाध्य करता है। Ai image : Breastfeeding mom भारत में स्तनपान की स्थिति और चुनौतियाँ भारत में स्तनपान की स्थिति चिंताजनक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट के अनुसार – केवल 41% शिशु जन्म के पहले घंटे में स्तनपान...
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